राखी लेकर बहना आयी
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत पाण्डेय सरिता ‘राजेश्वरी’15 Aug 2025 (अंक: 282, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
आधार छंद: मत्त सवैया/राधेश्यामी
विधा: गीत्ग
परिचय: (32 मात्रा) सममात्रिक छंद
पदांत: एक गुरु (2) आवश्यक
यति:16, 16
सृजन शीर्षक- राखी लेकर बहना आयी।
कुछ छूटा है जो इस घर से,
वह प्रेम निशानी में लायी।
ले जन्मों की प्रीत पुरानी,
राखी लेकर बहना आयी॥
छू बचपन को लौट चलेगी,
क्या जानोगे वो जो पायी।
दे आशीषें भर जाती जो,
हो जैसे जादू सा मायी (ईश्वर)॥
हर आँगन का खेल-खिलौना,
अंतर-मंतर जादू-टोना।
सज-धज बिटिया का ख़ुश होना,
मह-मह महके भर घर-कोना॥
उस का आना ख़ुशियाँ लाती,
है जाने से सबको रोना।
वह लाडो हीरे-मोती सी,
भर संदूकें चाँदी-सोना॥
बन पूरक माँ की ममता ले,
मंगल-ख़ुशहाली की गायी।
जग के बदलावों में सच्चा,
रिश्ता एक सहोदर स्थायी॥
बड़ भागी क़िस्मतवाली माँ,
ने तप साधा बेटी जायी।
कुल तीनों को तारेगी जो,
वह बहना-बेटी सुखदायी॥
कुछ छूटा है जो इस घर से,
वह प्रेम निशानी में लायी।
ले जन्मों की प्रीत पुरानी,
राखी लेकर बहना आयी॥
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