निम्न चाप
संस्मरण | स्मृति लेख पाण्डेय सरिता15 Dec 2021 (अंक: 195, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
भाषा, मानवीय संवेदनाओं की अभिव्यक्ति का महत्वपूर्ण माध्यम है। जिसमें क्षेत्रीय आधार पर अर्थ और उच्चारणगत बहुत से परिवर्तन होते रहते हैं, जो कभी-कभी हास्यास्पद भी बन जाता है। चलिए आज इसी उच्चारणगत समस्या पर एक चर्चा करती हूँ।
दीवाली से पहले पूरे भारत में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने से वर्षा का प्रभाव व्याप्त था। मेरी सहेली के पति, जन्मजात भोजपुरिया जन्तु, बंगाल में रहते हुए बांगाली भाषा एवं सभ्यता-संस्कृति के रंग में रँगे हुए हैं, बन्धु।
घरेलू हाल-समाचार कहने-सुनने के बाद मौसम पर बात चली तो, वर्षा रानी के कारण अस्त-व्यस्त जन-जीवन की बात चली। वह मुझे बताने लगे कि बांग्ला में इस तरह के प्रभाव को निम्मो चा कहते हैं।
यूँ ही लापरवाही में मुझे लगा कि संभवतः बांग्ला में कहते होंगे, निम्मो चा। अकस्मात् दिमाग़ में आया, "निम्मो चा . . .? हिन्दी का नीबू चाय? अरे यार इससे भी कुछ बेहतर शब्द हो सकते हैं जी? निम्मो चा . . . । ये क्या बात हुई निम्मो चा . . .?" अर्थ स्पष्ट करने के लिए पूछा मैंने, "और कुछ अच्छा शब्द बांग्ला में नहीं है इस तरह के मौसम के लिए?"
हँसते हुए मज़ाकिया रिश्ते की वजह से टाँग खिंचाई करती हुई पूछती रही और वह मुझे स्पष्ट करने के लिए बार-बार 'निम्मो चा' कहते रहे।
विविध अर्थों पर तर्क-वितर्क करते हुए पाँच-सात बार कहने-सुनने के बाद पता चला कि वह निम्न दबाव के संदर्भ में प्रयोग कर रहे थे।
हुआ यूँ कि जैसे ही मैं बोली कि हिंदी में निम्न दबाव का क्षेत्र कहा जाता है तो सुनकर झट से बोले, "हाँ, यही निम्न दबाव को बांग्ला में निम्न चाप कहा जाता है।"
'निम्न चाप' शब्द का आख़िरी कुछ शब्दांश और भाव, गुप्त-अप्रकट रह जाने से बंगाली टोन में जो निम्मो चा . . . । निम्मो चा . . . पर अटका था, केवल सुन और समझ पा रही थी।
समझने के बाद हँसते-हँसते लोट-पोट हो कर रह गई—"अरे यार अच्छा है तुम्हारा निम्मो चा!” के साथ हमारा संवाद समाप्त हुआ।
अब तो कभी भी बात होने पर, "बंगाल के निम्मो चा का क्या हाल-चाल है?" हँसकर पूछ्ना नहीं भूलती। प्रतिक्रिया स्वरूप वह भी ठठाकर हँस पड़ते हैं।
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