अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

नए साल में . . . 

स्वागत गीत लिखे चलो 
ख़ातिर नूतन साल की 
मन चाहे रंगों में हो फिर
हाथी घोड़ा पालकी 
 
बीते को मुड़ देखो भाई 
लुटती गाढ़ी कहाँ कमाई
वे फ़िकर बिल्कुल ना पालें
समझे ना जो पीर पराई
समझौतों के सँकरे पुल से
तिजौरी भरी दलाल की
 
सपने जो कलयुग में आते
प्रलोभन की दुकान सजाते
डिस्काउंट में बेच रहे हैं
लोग सभी हर रिश्ते नाते
हे नाथ कितने ज़ोर से बोलें
जै कन्हैया लाल की 
 
नदी किनारे था एक मरघट 
धू धू जल रहती चिताएँ 
हर संताप समय के हाथों
पा जाती कपाल क्रियाएँ 
बिजली की शव दाहों में
क़िल्लत लकड़ी टाल की 
 
संवाद हीन है जग सारा
व्यर्थ का गूँजा करता नारा
अलगू जुम्मन न्याय न देते
तर जाए जो ग़रीब बिचारा 
रिश्वत के ढेरों पानी ने
गति बना दी क्या दाल की
 
ले दे कर गाँव था सुधरा
बिखरा गए मज़हब कचरा
हैं इंसानियत के घिसते पुर्जे
उस पर भी क़ानूनी पहरा
सोचो समझो नेता परखो
समय चुनावी चाल की

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

अंतहीन टकराहट
|

इस संवेदनशील शहर में, रहना किंतु सँभलकर…

अंतिम गीत लिखे जाता हूँ
|

विदित नहीं लेखनी उँगलियों का कल साथ निभाये…

अखिल विश्व के स्वामी राम
|

  अखिल विश्व के स्वामी राम भक्तों के…

अच्युत माधव
|

अच्युत माधव कृष्ण कन्हैया कैसे तुमको याद…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

सजल

ग़ज़ल

नज़्म

कविता

गीत-नवगीत

दोहे

हास्य-व्यंग्य आलेख-कहानी

कविता-मुक्तक

पुस्तक समीक्षा

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं

लेखक की पुस्तकें

  1. शिष्टाचार के बहाने