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दिल का नासूर जो दुखता नहीं प्यारा है मुझे

 

बहर: रमल मुसम्मन सालिम मख़बून महज़ूफ़
अरकान: फ़ाएलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़इलुन
तक़्तीअ: 2122    1122    1122    112
 
दिल का नासूर जो दुखता नहीं प्यारा है मुझे
बंद दरवाज़ों ने ले नाम पुकारा है मुझे
 
इस गली मुझ से तो बेहतर कोई वाक़िफ़ ही नहीं
याद हर हादसा बारीक़ नज़ारा है मुझे
 
जश्न रोने का बिना आँसू मनाता ही रहा
दाग़ दिल का यूँ छुपाना भी गवारा है मुझे
 
कुछ  तो दहशत में रहे रात गुज़रती नहीं थी
बाद मालूम हुआ साथ सितारा है मुझे
 
ज़ुल्म की दुनिया में खोटा कभी सिक्का है चला
मैं खरा था तभी दुनिया ने दुलारा है मुझे

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