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तेरी हिफाजतों दरो- दीवार मै भी हूँ

 

बहर: मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़
अरकान: मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
 
तक़्तीअ: 221    2121    1221    212
 
तेरी हिफाजतों दरो- दीवार मै भी हूँ
साथी हूँ  खुशनुमा कहीं,  अग्यार  मै भी हूँ
 
समझे  हैं लोग भी मुझे  तो अज़नबी यहाँ
बस्ती  का रहनुमा अभी तो यार मैं भी हूँ
 
कहते है लोग आज मैं  ख़ुदग़र्ज़ हो गया
तुझको इज़ाफा जो मिला हक़दार मैं भी हूँ
 
अपने मुआइने  से पता कर अभी-कहीं
 कितना मै बिक गया  क्या  खरीदार  मै भी हूँ
 
ज्यादा ख़ुशी न पा सका महफिल में आपकी
वो  बद-नसीब पस्त सा किरदार मै भी हूँ
 
चलती है जिन्दगी बिना बैसाखियाँ लिए
खामोश शहर में कहीं    बीमार मै भी हूँ
 
शब्दार्थ: अग्यार= ग़ैर ,पराया, विरोधी

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