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नफ़रतों के बाज़ार से सौदा कोई ख़रीदना मत

 

अरकान: फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़े
तक़्तीअ: 22    22    22    22    22    22 2
 
नफ़रतों के बाज़ार से सौदा कोई ख़रीदना मत
मतलब के ख़ुद-ग़र्ज़ तराज़ू चीज़ों को तौलना मत
 
हिज्र की धूप में सब्र का छाता क़रीब रखना बस
व्यर्थ पसीना बहाते आवारगी में भीगना मत
 
जिस सुब्ह की तलाश वो आएगी एक दिन ज़रूर
गिरते तारे गिन रातों ख़ामोशी में जागना मत
 
क़ातिल की सूरत जो देखी है बता दुनिया को
ख़ाली नक़ाब को देखकर ज़ियादा चीखना मत
 
हम भी लगे हैं बनाने में भाई-चारे की दुनिया नई
हौसला-अफ़्ज़ाई में हमारी पीछे छूटना मत

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