होली की सबों को हार्दिक बधाई
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत निर्मल सिद्धू27 Oct 2018
गीत होली के सब गुनगुनाने लगे
आई होली, नये सुर सजाने लगे
हर तरफ़ उठ रहा शोर ही शोर है
रंग का भंग संग चल रहा दौर है
बिन पिये भी क़दम लड़खड़ाने लगे
रिश्तों में घुल रहा इक नया जोश है
जिसको देखो वही आज मदहोश है
हर ख़ुशी से नयन जगमगाने लगे
रंग आकाश का शरबती हो रहा
हर बदन भींग कर मख़मली हो रहा
हाथ होली में सब फिर मिलाने लगे
मिल के सारे चलो आज वादा करें
जीयें हम प्यार से ये इरादा करें
आरज़ू के कंवल मुस्कुराने लगे।
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