अपनी भाषा
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु निर्मल सिद्धू1 Oct 2019
अपनी भाषा
आत्म ज्ञान का स्रोत
गले लगायें
चाहते हम
ज़ुबां-ज़ुबां पे हिन्दी
पर हो कैसे
भूलेंगे जब
अपने मतभेद
फैलेगी हिन्दी
ध्वज हिन्दी का
ऊँचा रहे हमेशा
यत्न करें जो
होगी हर सू
हिन्दी की जयकार
सीखें जो बच्चे
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