दशहरा
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु निर्मल सिद्धू1 Oct 2019
गर चाहिये
मर्यादित जीवन
राम है सेतु
प्रभु बतायें
कैसे सँभाला जाये
रावण-मन
हो सदगति
राम नाम का जाप
सर्वदा करें
पधारो राम
पत्थर सा हूँ पड़ा
अहिल्या बनूँ
डूबता सूर्य
देता यही संदेशा
राम है सत्य
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