सनम जबसे पर्दा उठाने लगे हैं
शायरी | ग़ज़ल निर्मल सिद्धू7 Jun 2017
सनम जबसे पर्दा उठाने लगे हैं
क़दम दर क़दम पास आने लगे हैं
अड़चनें बहुत राहों में थी मगर अब
मेहरबां हुये, दिल लुभाने लगे हैं
कभी ना कभी, था ये होना ज़रूरी
भले इसमें कितने ज़माने लगे हैं
जो चिलमन के उठने का देखे नज़ारा
तो फिर होश उसके ठिकाने लगे हैं
वो दिलवर हमारा वो रहबर हमारा
कहाँ के कहाँ, ये निशाने लगे हैं
ये जीवन डगर एक टेढ़ी डगर है
यहाँ सबके निर्मल, फ़साने लगे हैं...
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