पर्यावरण
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु निर्मल सिद्धू15 Nov 2019 (अंक: 144, द्वितीय, 2019 में प्रकाशित)
पेड़ जो कटे
धरा हुई घायल
चेत रे प्राणी
जल विहीन
कैसा होगा संसार
ज़रा तो सोचें
हवा जो चले
श्वास भी तभी चले
ना करें मैली
अग्नि सम्मुख
नियंत्रण ज़रूरी
वर्ना हो नाश
आकाश पर
रक्खें नज़र पर
ध्यान पैरों पे
हे पंच तत्व
हम तो ऐसे ही हैं
दया रखना
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