मैं तो एक दिवाना हूँ
शायरी | ग़ज़ल निर्मल सिद्धू1 Sep 2019
मैं तो एक दिवाना हूँ
अलबेला मस्ताना हूँ
हर पल मस्ती छलके है
इक ऐसा मयख़ाना हूँ
मौसम आते जाते हैं
कुदरत का नज़राना हूँ
तन मन जो रौशन कर दे
उस शम्मा का परवाना हूँ
दिल में आकर देखो तो
इक अनमोल ख़ज़ाना हूँ
अब भी सिक्का चलता है
चाहे दौर पुराना हूँ
'निर्मल' तेरी बातों से
मैं जाना पहचाना हूँ
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