भाव दाल का
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत जयराम जय1 Jul 2023 (अंक: 232, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
कैसे हाल बतायें हम
बेहाल हाल का
महगाई की चाबुक खाकर
बैठे हैं घर में
नहीं बचा है शेष रुपइया
गया सभी कर में
धरे हाथ पर हाथ टटोलें
शिकन भाल का
डीज़ल, पेट्रोल, कैरोसिन
ने खीशैं है बाई
और सिलेण्डर ने झट से
तीली है सुलगाई
गया निशान नहीं है
थप्पड़ जडे़ गाल का
नून तेल लकड़ी का देखो
हाल बेहाल हुआ
उधड़ गई है खाल, ख़ानगी
महँगा माल हुआ
आसमान छू रहा आज है
भाव दाल का
वादे हुए खोखले सब
नेता दाँत निपोरे
लगा नये कर जनता की
ज़ुल्मी आँत निचोरे
इनपे असर न कोई
ये पशु मोटी खाल का
राजा बैठा है गद्दी पर
धारण मौन किये
कान बंद है आँख न खोले
मद की सुरा पिये
मंत्री सारे काम कर रहे
सिर्फ़ ढाल का
कैसे हाल बतायें हम
बेहाल हाल का
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