तुमको दुबारा दिल्ली कभी भेजता नहीं
शायरी | ग़ज़ल जयराम जय1 Sep 2022 (अंक: 212, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
कहता है वो किसी का बुरा सोचता नहीं
अपनी बुराइयों को कभी देखता नहीं
करता है रोज़ साज़िशों पे साज़िशें यहाँ
सब जानते हैं किन्तु कोई बोलता नहीं
चलती हैं हवाएँ भी इशारों पे आज-कल
उसके बिना पत्ता भी एक डोलता नहीं
हमको पता होता कि तुम इतने ख़राब हो
तुमको दुबारा दिल्ली कभी भेजता नहीं
जय होता वो इंसान अगर ईमानदार तो
अपने ही किए वादों से मुँह मोड़ता नहीं
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