तुम
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत सूर्य प्रकाश मिश्र1 Apr 2023 (अंक: 226, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
तुम मधुर रागिनी के नवसुर
जीवन वीणा के तार छेड़
मन के पट पर सपने उकेर
मिलते हो जब मधुमास लिये
जीवन लगता है और मधुर
साँसों से साँसों का बन्धन
महकी साँसें जैसे चन्दन
सींचा तुमने लहलहा उठे
अनियंत्रित भावों के अंकुर
हर पल में जी लेना इक युग
उन्मुक्त मगर बन्धन का सुख
स्वच्छन्द कल्पना की उड़ान
मन पंछी उड़ने को आतुर
तुम सरिता के अविरल प्रवाह
मन लहरों के संग चली नाव
शाश्वत है अपना अमर प्रेम
यात्रा अनन्त की क्षणभंगुर
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