गाँव
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत प्रवीन वर्मा 'राजन'1 Mar 2022 (अंक: 200, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
आओ तुम्हें हम गाँव दिखाएँगे।
नीम वाली मधुर छाँव दिखाएँगे।
हल्के पवन के झोंको संग,
इंद्रधनुष से प्यारे रंग,
अम्मा की ढेर सी तकरार,
बाबा का मीठा संस्कार,
पीले सरसों के खेत दिखाएँगे।
आओ तुम्हें हम गाँव दिखाएँगे।
आमों के झुरमुट की छाया,
देखो कैसा मौसम लाया,
कोयल कूके वन उपवन में,
हर्ष जगाती है तन मन में,
पपीहे की मधुर तान सुनाएँगे।
आओ तुम्हें हम गाँव दिखाएँगे।
शहरों सा जंजाल न होगा,
कंक्रीट का महल न होगा,
मन्द पवन के झोंके होंगे,
ताल तलैया अनोखे होंगे,
गाय का ताज़ा दूध पिलायेंगे।
आओ तुम्हें हम गाँव दिखाएँगे।
लुका छिपी के खेल निराले,
मन को भाते जामुन काले,
टिमटिम करते चाँद सितारे,
लगते हैं सब कितने प्यारे,
रोटी, सरसों का साग खिलाएँगे।
आओ तुम्हें हम गाँव दिखाएँगे।
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