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नाम भारत का जगत में

नाम भारत का जगत में जगमगाते देखने की। 
चाह है माँ भारती को मुस्कुराते देखने की॥
 
पक्षपाती लेखनी इतिहास लिखवाती रही है। 
हम अहिंसा से हुए आज़ाद, बतलाती रही है। 
कोटि जीवन हो गए बलिदान उस भीषण समर में, 
एक ही इंसान को पर श्रेय दिलवाती रही है। 
  
झूठ पर लटके हुए पर्दे हटाते देखने की। 
चाह है माँ भारती को मुस्कुराते देखने की॥
 
नौनिहालों को नई बातें बताने का समय है। 
राष्ट्र-नायक, नायिकाओं से मिलाने का समय है। 
क्रूरता के रक्तरंजित सत्य का प्रकटीकरण कर, 
फिर महाराणा, शिवाजी को पढ़ाने का समय है। 
 
स्वाभिमानी शीश को ऊँचा उठाते देखने की, 
चाह है माँ भारती को मुस्कुराते देखने की॥
 
देश का प्राचीन वैभव पुस्तकालय से निकालें। 
संस्कारों की धरा में उन्नयन के बीज डालें। 
सूर्य की संतान हैं हम, सभ्यता के जन्मदाता, 
संस्कृति की सनातन गरिमामयी सत्ता सम्भालें। 
 
विश्वगुरु की भूमिका फिर से निभाते देखने की। 
चाह है माँ भारती को मुस्कुराते देखने की॥
 
उठ खड़ा होगा नया भारत नए संकल्प लेकर। 
जीत लेंगे हम लड़ाई हौसले अपने बड़े कर। 
साधनों की भी कमी बाधा नहीं बन पाएगी अब, 
लाँघ जाएँगे समंदर हाथ से किश्तियाँ खेकर। 
 
हर असम्भव लक्ष्य को सम्भव बनाते देखने की। 
चाह है माँ भारती को मुस्कुराते देखने की॥

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