तेरी-मेरी प्रीति में
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत शकुंतला अग्रवाल ‘शकुन’15 Mar 2024 (अंक: 249, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
(दोहा छंद आधारित गीत)
आज तुम्हारे गाल पर, मल दूँ रंग-गुलाल।
तेरी-मेरी प्रीति में, आए तनिक उबाल।
रँग फागुन के रंग में, प्रकृति रचाए रास।
आते गुन-गुन कर भ्रमर, महक रहा मधुमास।
हो लें मस्त मलंग हम, पीकर थोड़ी भाँग।
बीत गई जो यामिनी, कुक्कुट देगा बाँग।
मौन-निमंत्रण पा प्रिये!, बदलो अपनी चाल।
तेरी-मेरी प्रीति में, आए तनिक उबाल।
सोए जो जज़्बात हैं, उन्हें जगाना मीत।
छौंक लगाकर प्रेम का, लेना मन को जीत।
दहके हृदय वियोग में, जैसे पुष्प-पलास।
प्रेम-पुजारी का यहाँ, उड़ता नित उपहास।
हृदय-धरा से दो प्रिये!, डर को आज निकाल।
तेरी-मेरी प्रीति में, आए तनिक उबाल।
ओढ़ चुनरिया प्यार की, कर सोलह-शृंगार।
आओ मेरे अंक में, दूँगा जीवन वार।
सदियों तक क़ायम रहे, अपना पावन-प्यार।
प्रणय-निवेदन को प्रिये! अब कर लो स्वीकार।
प्रियवर! मेरी ताल के, संग मिलाओ ताल।
तेरी-मेरी प्रीति में, आए तनिक उबाल।
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