यूँ ना बैठे हाथ मलो
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत तेजपाल सिंह ’तेज’1 Mar 2023 (अंक: 224, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
यूँ ना बैठे हाथ मलो,
काँटों पर चलने का दम है,
तो तुम मेरे साथ चलो।
सूरज तो सूरज है यारा,
आज नहीं तो कल निकलेगा।
जीवन माना बर्फ़ सरीखा,
आज नहीं तो कल पिघलेगा।
काँटों पर चलने का दम है,
तो तुम मेरे साथ चलो।
मुझको तो अनुबंधी युग में,
सम्बंधों को जीना है।
छोड़ के तेरा-मेरा सचमुच,
ज़हर प्रेम का पीना है।
काँटों पर चलने का दम है,
तो तुम मेरे साथ चलो।
तू क्या जाने कल की ख़ातिर,
ख़ून को किया पसीना है।
हर पल खोया ही खोया है,
हक़ हमको मिला कभी-ना है।
काँटो पर चलने का दम है,
तो तुम मेरे साथ चलो।
नए दौर में भूल गए हम,
मानवता का मूल तलक।
प्रेम-प्रीत की पगडंडी पर,
बिछा सके तो बिछा पलक,
काँटों पर चलने का दम है,
तो तुम मेरे साथ चलो।
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