कहने को इक साल गया है
काव्य साहित्य | गीतिका तेजपाल सिंह ’तेज’1 Jan 2023 (अंक: 220, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
कहने को इक साल गया है,
वैसे ज़िन्दा काल गया है।
लेकर ख़ाली प्याला-प्याली,
घर अपने कंगाल गया है।
सत्ता की मारा-मारी में,
पाक कभी बंगाल गया है।
भेद समन्दर की अभिलाषा,
अम्बर तक पाताल गया है।
बेपरदा हुई राजनीति कि,
इंसानी सुरा-ताल गया है।
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