सावन गीत - 01
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत कंचन वर्मा1 Sep 2023 (अंक: 236, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
सखी सावन आ गया, मन को ये लुभा गया।
ठंडा ठंडा है पवन, गाए गीत बाबरी।
दादुर, पपीहा बोले, पड़ गए हैं हिडोले,
सोलह सिंगार तन, सज गई साँवरी।
देखे राह श्याम की, कुँवारी बृषभान की।
बंशी श्याम बज रही, बज उठी पाँवरी।
झूमे मन मोर देखो, घटा घनघोर देखो,
साजन बिन सूना है, हर एक राग री।
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