किस में बूता है
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत अविनाश ब्यौहार1 Feb 2023 (अंक: 222, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
आँधी को जो
मोड़ सके—
किस में बूता है।
दुनिया में
यदि है तो
चाँदी का जूता है॥
हैं नेकी के बदले में
काले कारनामे।
सुरंग में कई हाथ
जलती मशालें थामे॥
तम जीता है
रातों में—
लगा निपूता है।
मान लो दिन समय की
नब्ज़ पकड़ कर चलेगा।
कोई अपशकुन हो जाए तो
बहुत खलेगा॥
भोर में—
चिड़ियों का गीत
दिल को छूता है।
मीलों चलकर नदी का
सागर से मिलना है।
शिरीष है अवधूत सा
गर्मी में खिलना है॥
धूप चूमती—
मुँडेरों को
किरण प्रसूता है।
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