रुदन है तो हँसाना है
शायरी | ग़ज़ल अविनाश ब्यौहार15 Jan 2023 (अंक: 221, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
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रुदन है तो हँसाना है।
उजाले को बसाना है॥
अगर मुख देख लो उनका,
बहुत दिखता रिसाना है।
ज़हालत दिख रही है जो,
अमन का शर धँसाना है।
मुहब्बत तो लगी ऐसे,
हक़ीक़त क्या फ़साना है।
ग़लत बातें नहीं होगी,
तभी से वह खिसाना है।
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