लोगों में क्यों मक्कारी है
काव्य साहित्य | गीतिका अविनाश ब्यौहार15 Jan 2021 (अंक: 173, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
लोगों में क्यों मक्कारी है
कैसी ये दुनियादारी है
कच्ची नींव हुई रिश्तों की,
झूठी-मूठी सी यारी है
सच्चाई अच्छे गुण वाली,
रिश्वत मानो बदकारी है
हिंदी में हम खेद कहेंगे,
इंग्लिश में कहते सॉरी है
घोटालों का देश मिला है,
बोलो अब किसकी बारी है
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