हाऊ चॉकलेटी, वाऊ चॉकलेटी
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत अच्युतम केशवम22 May 2017
लॉलीपॉप लिए धूप,
ड्योढ़ी पर बैठी
हाऊ चॉकलेटी
वाऊ चॉकलेटी
रात फिर चकोरी ने,
चंदा को टेरा।
किन्तु वह लगाता था,
धरती का फेरा।
धरती की आँखों में,
बादल के सपने।
यह जानते हुए भी,
प्यार किया हमने।
मैं धरा का बेटा,
वो अम्बर की बेटी।
हाऊ चॉकलेटी
वाऊ चॉकलेटी ।1।
बौराने आम बहे,
खुशबू के झरने।
कमलों से भ्रमर लगे,
छेड़छाड़ करने।
खिलखिलाती झुण्ड में,
रौनकें बाग़ की।
तितलियों से भर गईं,
गलियाँ गुलाब की
मखमली गलीचे पर,
सरसों है लेटी।
हाऊ चॉकलेटी
वाऊ चॉकलेटी ।२।
माघ जब निवाय जगत,
प्रीति में नहाए।
अँखियन की राह पिया,
हिया में समाए।
बासंती सम्मोहन,
जलथल बंध जाय,
रचयिता रघुवंश के,
शाकुंतल गाय।
महुआ की छाँह तले,
मादकता बैठी।
हाऊ चॉकलेटी
वाऊ चॉकलेटी ।3।
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