दिल भर आए तो क्या कीजिए
शायरी | ग़ज़ल संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’15 Apr 2023 (अंक: 227, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
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प्यार की कोई झूठी कहानी चले और दिल भर आए तो क्या कीजिए।
जब समंदर में आँखों ‘का’ पानी चले और दिल भर आए तो क्या कीजिए।
चल रहा हो कोई दूर तक रेत पर आँधिओं का हो आना जाना वहाँ,
वो सफ़र जिसमें ये ज़िंदगानी चले और दिल भर आए तो क्या कीजिए।
लाख काँटों से सज के खिलें फूल पर तोड़ लेता है कोई माली उसे,
बेबसी में जो ऐसी जवानी चले और दिल भर आए तो क्या कीजिए।
हो रहा हो कोई ज़िक्र तेरा कहीं तू वफ़ा की है मूरत बोलें सभी,
झूठ फिर से कोई ख़ान्दानी चले और दिल भर आए तो क्या कीजिए।
नाम आए कोई जब ख़ुशी का अगर हम चले दिल को रोके-थामें हुए,
साथ ग़म का कोई फिर निशानी चले और दिल भर आए तो क्या कीजिए।
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