आग पर चल कर दिखाओ तो सही
शायरी | ग़ज़ल डॉ. विकास सोलंकी15 Aug 2025 (अंक: 282, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
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आग पर चल कर दिखाओ तो सही
और थोड़ा मुस्कुराओ तो सही
फैल जाएगी यक़ीनन रोशनी
एक दीपक तुम जलाओ तो सही
नींद आएगी नहीं यह जान लो
स्वप्न आँखों में सजाओ तो सही
चल रहे हो बात अच्छी है मगर
राह का पत्थर हटाओ तो सही
जीत होगी कल यक़ीनन मान लो
ज़ोर जमकर तुम लगाओ तो सही
दूर तक पैदल चलूँगा मैं मगर
रास्ता कोई दिखाओ तो सही
हार कर मैं बैठ सकता हूँ नहीं
शौर्य के क़िस्से सुनाओ तो सही
एक मानक ज़िन्दगी का गढ़ सकूँ
हौसला मेरा बढ़ाओ तो सही
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