आना जाना लगा रहेगा
शायरी | ग़ज़ल डॉ. विकास सोलंकी15 Aug 2025 (अंक: 282, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
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आना जाना लगा रहेगा
कौन यहाँ पर सदा रहेगा
बात अदब से किया करो तुम
बड़ा है जो वो बड़ा रहेगा
मौक़ा पाकर करो न साज़िश
कबतक कोई खफ़ा रहेगा
मारा मारा वहाँ फिरोगे
पाॅकेट में पर पता रहेगा
दुनियादारी नहीं रहेगी
क्योंकर अच्छा बुरा रहेगा
पत्थर खाकर निभाया रिश्ता
पत्थर पर यह लिखा रहेगा
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