या मकानों का सफ़र अच्छा रहा
शायरी | ग़ज़ल डॉ. राकेश जोशी15 Aug 2023 (अंक: 235, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
2122 2122 212
फ़ाएलातुन फ़ाएलातुन फ़ाइलुन
या मकानों का सफ़र अच्छा रहा
या ख़ज़ानों का सफ़र अच्छा रहा
जो ज़बां लेकर चले थे, मिट गए
बे-ज़बानों का सफ़र अच्छा रहा
भूख के क़िस्से ग़रीबों ने सुने
दास्तानों का सफ़र अच्छा रहा
झुग्गियों में पल रही है सभ्यता
आसमानों का सफ़र अच्छा रहा
कुछ बुझे चूल्हे बताते रह गए
कारख़ानों का सफ़र अच्छा रहा
मुश्किलें सारी पहाड़ों पर मिलीं
बस, ढलानों का सफ़र अच्छा रहा
था सफ़र नादान लोगों का कठिन
कुछ सयानों का सफ़र अच्छा रहा
पीढ़ियाँ-दर-पीढ़ियाँ पूजी गईं
हुक्मरानों का सफ़र अच्छा रहा
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