जाने कहाँ से पूतना बस्ती में आई है
शायरी | ग़ज़ल डॉ. भावना15 Feb 2024 (अंक: 247, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
जाने कहाँ से पूतना बस्ती में आई है
घर-घर में जैसे मौत ने साँकल बजाई है
चमकी बुख़ार कहते हैं जिसको यहाँ के लोग
वो तो ग़रीब क़ौम की पहली लड़ाई है
हद है यहाँ ईमान की, ग़ैरत की क्या कहें
मरता है कोई इसमें भी गाढ़ी कमाई है
कुछ तो सुनेगा महकमा, कुछ तो कहेंगे लोग
सहमी हुई माँओं ने जो अर्ज़ी लगाई है
कैसे वो फ़िक्र छोड़कर सोयेगा रातभर
जिसने भी नींद बेचकर दौलत कमाई है
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