ऐ मौत अभी तू वापस जा
शायरी | ग़ज़ल निज़ाम-फतेहपुरी1 Jan 2021 (अंक: 172, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
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अरकान- मफ़ऊल मुफ़ाईलुन फ़ैलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन फ़ैलुन
ऐ मौत अभी तू वापस जा बीमार कि हसरत बाक़ी है
बस देख लूँ उनको फिर आना दीदार कि हसरत बाक़ी है
ग़म जिसने दिए इतने मुझको ख़ुशहाल वो कैसे रहते हैं
आया न समझ में इतनी बस ग़मख़्वार कि हसरत बाक़ी है
अपनों की मोहब्बत से यारों ग़ैरों कि ये नफ़रत अच्छी है
पीकर भी न भूले हम जिसको उसे यार कि हसरत ब़ाकी है
साक़ी ने पिलाई जी भर के बोतल न बची मयख़ाने में।
फिर भी है शिकायत पीने की मयख़्वार कि हसरत बाक़ी है
समझा न किसी ने ग़म मेरा जी भरके 'निज़ाम' अब पीता हूँ।
मैं एक शराबी शायर हूँ बस प्यार कि हसरत बाक़ी है
– निज़ाम-फतेहपुरी
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