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ख़ुद को ख़ुदी से बच के बचे ही रहेंगे हम

बहर: मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़
अरकान: मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
तक़्तीअ: 221    2121    1221    212
 
ख़ुद को ख़ुदी से बच के बचे ही रहेंगे हम
कल भी भले थे सब के भले ही रहेंगे हम
 
साज़िश तमाम हो रही सच को मिटाने की
मिटने न देंगे सच को अड़े ही रहेंगे हम
 
होता नहीं रईस कभी जो अमीर है
पैदा हुए रईस बने ही रहेंगे हम
 
नफ़रत है उन के दिल में हमारे लिए भरी
अच्छा करेंगे फिर भी बुरे ही रहेंगे हम
 
हम को गिराने वाले तो ख़ुद गिर गए ‘निज़ाम’
जब तक ख़ुदा है साथ उठे ही रहेंगे हम

 

—निज़ाम फतेहपुरी 

 

 

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