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सारे जहाँ में कोई अपना नहीं हमारा

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मफ़ऊल फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन
 
सारे जहाँ में कोई अपना नहीं हमारा
हमदर्द बन के आख़िर सब ने किया किनारा
 
नादान दिल को मेरे धोखा दिया उन्होंने
जिनका था ज़िंदगी में हमको फक़त सहारा
 
अनजान बन गए वो  बर्बाद करके मुझको
फिर भी ये दिल उन्हें  कुछ कहता नहीं बेचारा
 
अरमान दिल के सारे दिल में मचल रहे हैं
अर्ज़े वफ़ा भी करना हमको नहीं गंवारा
 
चिलमन हटी जो रुख़ से इक आह दिल से निकली
मैं बेख़ुदी में उनका करता रहा नज़ारा
 
तारीकियों में भटके इस आस पर सदा हम
चमकेगा एक दिन तो तक़दीर का सितारा
 
मरने का ग़म नहीं है ग़म तो 'निज़ाम' ये है
अपनी ही सादगी ने अपना गला उतारा

— निज़ाम-फतेहपुरी

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