इक दूजे के साथ जनम भर हम दोनों
शायरी | ग़ज़ल रवींद्र चसवाल ‘रफ़ीक़’15 Jul 2023 (अंक: 233, द्वितीय, 2023 में प्रकाशित)
इक दूजे के साथ जनम भर हम दोनों
एक नदी और एक समंदर हम दोनों
इतनी भी क्या जल्दी थी घर जाने की
क्यूँ ना बैठे पास घड़ी भर हम दोनों
अपने मन की आँखों से कुछ ग़ौर करो
एक इसी तस्वीर के अंदर हम दोनों
दुनिया तो बस रेशम की इक डोरी है
लेकिन हैं मज़बूत मुक़द्दर हम दोनों
तेज़ हवाओं से क्यूँ हमें डराते हो
मिल जाएँ तो एक बवँडर हम दोनों
धन दौलत को सब पूजें जिस दुनिया में
प्रेम की इक अनमोल धरोहर हम दोनों
ख़ून से लथ पथ ज़ख़्मों की इस बस्ती में
एक रफ़ीक़ और एक रफ़ूगर हम दोनों
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