पेश आते हैं वो प्यार से आजकल
शायरी | ग़ज़ल कु. सुरेश सांगवान 'सरू’1 Dec 2021 (अंक: 194, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
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पेश आते हैं वो प्यार से आजकल
ख़ुशबुओं के चले सिलसिले आजकल
दूर सबसे रहे हम यही सोचकर
लोग मिलते कहाँ हैं खरे आजकल
जिनको मैं अब तलक़ दे रही थी सबक़
वो पढ़ाने लगे हैं मुझे आजकल
अब मुहब्बत की इसमें जगह ही नहीं
हर किसी के हैं दिल में गिले आजकल
आज मिलने मिलाने की फ़ुर्सत किसे
बात हो जाती है फ़ोन से आजकल
किसको अपनी कहानी सुनाएं 'सरू'
है ही फ़ुर्सत मयस्सर किसे आजकल
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Shalini Chaudhary 2021/11/24 12:48 PM
Excellent work mam... Very beautifully written❤️