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दिल अगर बीमार सा है सोचिए

दिल अगर बीमार सा है सोचिए
इश्क़ हर ग़म की दवा है सोचिए

 

ये तिरे एहसास की यख़बस्तगी
प्यार मेरा गुनगुना है सोचिए

 

देखते हैं मुस्कुराकर लोग फिर 
अब कहाँ  तूफ़ाँ उठा है सोचिए

 

ख़्वाब के किरचे हुये थे जिस जगह
दिल वहीं फिर जा लगा है सोचिए

 

सोचती हूँ ख़ुश्क पत्ते देख कर 
ज़िंदगी ये बेवफ़ा है सोचिए

 

बोझ सारा इस ज़मीं पर डाल कर 
आसमाँ फिर क्यूँ झुका है सोचिए

 

लाख दीवारें उठा लें नफ़रतें
ये दिलों का सिलसिला है सोचिए

 

ये नज़र का मामला है क्या कहूँ
ख़ूबसूरत वो लगा है सोचिए

 

हौसला इन बेटियों का क्या कहें
फूल पत्थर तोड़ता है सोचिए

 

मन पखेरू हसरतों का आसमाँ
दूर तक फैला हुआ है सोचिए

 

जब निकलना हो कहीं घर से परे 
ये किधर का रास्ता है सोचिए

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टिप्पणियाँ

सुरेन्द्र 2019/07/13 01:06 AM

बहुत ही दिल को छूने वाली जि़न्दगी की हकीकत और मार्मिक क्रति । Very nice

Surender Singh 2019/07/04 04:20 PM

बहुत खूब , लाजवाब पेशकश दिली दाद कुबूल करें ...

Kriti 2019/07/02 07:23 AM

Wonderful

Lalit Gupta 2019/06/30 04:47 PM

Beautiful lines...

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