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उसके जाने से है ख़ला कोई 

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उसके जाने से है ख़ला कोई 
दिल के इतना क़रीब था कोई 
 
इल्म का जैसे हो दिया कोई 
है वो इंसाँ पढ़ा लिखा कोई 
 
रट लगाई थी मैंने जाने की 
आरज़ू थी कि रोकता कोई
 
पत्थरों से हज़ार वाकिफ़ था 
चोट फूलों से खा गया कोई 
 
आ गया अंत अब करो मुंसिफ 
फ़ैसला आर -पार का कोई 
 
रू-ब-रू सब के कह नहीं सकता 
उसका मेरा हिसाब था कोई 
 
वो जहाँ प्यार ख़त्म होता है 
ज़लज़ला दर्द का उठा कोई 
 
ज़िंदगी की उदास राहों में 
दूर तक चल नहीं सका कोई 
 
फिर यहाँ से बहार गुज़रेगी
आरज़ू में पड़ा रहा कोई 
 
मतलबी लोग प्यार क्या समझें
कान्हा है न राधिका कोई 
 
होश रहता नहीं किसी को यां
ज़िंदगी है या मयकदा कोई 

 

आपसे  है बहार का मौसम 
फूल हैं आप ख़ुशनुमा कोई 
 
एक ही चीज़ पर नहीं मुमकिन 
उम्र भर को रहे फ़िदा कोई 
 
बात इज्ज़त पे आ गई ऐसी 
कर सके हम न फ़ैसला कोई 
 
आज़मा ली हरिक दवा मैंने 
चाहिये अब मुझे दुआ कोई 
 
अपने साये को रोशनी दे जो 
दीप ऐसा नहीं मिला कोई 
 
इस कहानी में है ज़मीं ग़ायब 
आसमाँ भी नहीं लिखा कोई

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टिप्पणियाँ

saru 2023/03/26 09:39 AM

Thankeww soo much dear , aapke waqt aur hausla afzahi ke liye.

नीरा कांकडा 2023/03/09 03:15 PM

वाह वाह बहुत खूब लाजवाब

Neera Kankra 2023/03/09 03:05 PM

वाह वाह क्या खूब कहा आपने

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