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अश्क जब नैनों में आने लगते हैं 

2122      2122      212 
 
अश्क जब नैनों में आने लगते हैं 
क्यूँ सितारे झिलमिलाने लगते हैं
 
रोने लगती हूँ ज़रा सी बात पर 
मुस्कुराने में ज़माने लगते हैं
 
ज़िंदगी के साथ चलते हैं सदा 
दर्द भी अब तो खज़ाने लगते हैं 
 
जब बिखरती है तमन्ना टूटकर 
ज़िंदगी में रंग आने लगते हैं
 
जब भी तुम होते हो मेरे आस-पास 
तब सभी मंज़र सुहाने लगते हैं
 
प्यार का एहसास दिल में उठते ही 
हम ख़ुशी से गुनगुनाने लगते हैं

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