प्यार में उनसे करूँ शिकायत, ये कैसे हो सकता है
शायरी | ग़ज़ल हस्तीमल ‘हस्ती’8 Jan 2019
प्यार में उनसे करूँ शिकायत, ये कैसे हो सकता है
तोड़ दूँ मैं आदाबे-मुहब्बत, ये कैसे हो सकता है
चन्द किताबें तो कहतीं हैं, कहतीं रहें, कहने से क्या
इश्क़ न हो इंसाँ की ज़रूरत, ये कैसे हो सकता है
फूल न महकें, भँवरें न बहकें, गीत न गाये कोयलिया
और बच्चे ना करें शरारत, ये कैसे हो सकता है
जन्नत का अरमान अगर है, मौत से कर ले याराना
जीते जी मिल जाए जन्नत, ये कैसे हो सकता है
कोई मुहब्बत से है खाली कोई सोने-चाँदी से
हर झोली में हो हर दौलत, ये कैसे हो सकता है
अपनी लगन में, अपनी वफ़ा में कोई कमी होगी ‘हस्ती'
वरना रंग न लाए चाहत, ये कैसे हो सकता है!
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