तुम क्या आना जाना भूले
शायरी | ग़ज़ल हस्तीमल ‘हस्ती’8 Jan 2019
तुम क्या आना जाना भूले
हम तो हँसना- हँसाना भूले
एक तार क्या तोडा़ तुमने
सारा ताना-बाना भूले
तुमने ही ये बाग़ लगाया
तुम ही फूल खिलाना भूले
हमसे भूल हुई क्या बोलो
क्या तुमको लौटाना भूले
एक तुम्हें ही भूल ना पाये
वरना हम क्या-क्या ना भूले
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
- ग़म नहीं हो तो ज़िंदगी भी क्या
- चाहे जिससे भी वास्ता रखना
- चिराग हो के न हो दिल जला के रखते हैं
- टूट जाने तलक गिरा मुझको
- तुम क्या आना जाना भूले
- प्यार में उनसे करूँ शिकायत, ये कैसे हो सकता है
- फूल पत्थर में खिला देता है
- मुहब्बत का ही इक मोहरा नहीं था
- रास्ता किस जगह नहीं होता
- सबकी सुनना, अपनी करना
- साया बनकर साथ चलेंगे
- सिर्फ ख़यालों में न रहा कर
- हँसती गाती तबीयत रखिये
- हम ले के अपना माल जो मेले में आ गए
- हर कोई कह रहा है दीवाना मुझे
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं