चाहे जिससे भी वास्ता रखना
शायरी | ग़ज़ल हस्तीमल ‘हस्ती’8 Jan 2019
चाहे जिससे भी वास्ता रखना
चल सको उतना फ़ासला रखना
चाहे जितनी सजाओ तस्वीरें
आईने के लिये जगह रखना
घर बड़ा हो कोई ज़रूरी नहीं
ये ज़रूरी है दिल बड़ा रखना
वक़्त दस्तक नहीं दिया करता
अपना दरवाज़ा तुम खुला रखना
अपने घर को सजाओ अपनी तरह
खु़द से पूछो कहाँ पे क्या रखना
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ग़ज़ल
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- रास्ता किस जगह नहीं होता
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- सिर्फ ख़यालों में न रहा कर
- हँसती गाती तबीयत रखिये
- हम ले के अपना माल जो मेले में आ गए
- हर कोई कह रहा है दीवाना मुझे
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