रास्ता किस जगह नहीं होता
शायरी | ग़ज़ल हस्तीमल ‘हस्ती’8 Jan 2019
रास्ता किस जगह नहीं होता
सिर्फ़ हमको पता नहीं होता
बरसों रुत के मिज़ाज सहता है
पेड़ यूं ही बड़ा नहीं होता
छोड़ दें रास्ता ही डर के हम
ये कोई रास्ता नहीं होता
एक नाटक है ज़िन्दगी यारों
कौन बहरुपिया नहीं होता
खौफ़ राहों से किस लिये ‘हस्ती’
हादसा घर में क्या नहीं होता
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ग़ज़ल
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- चाहे जिससे भी वास्ता रखना
- चिराग हो के न हो दिल जला के रखते हैं
- टूट जाने तलक गिरा मुझको
- तुम क्या आना जाना भूले
- प्यार में उनसे करूँ शिकायत, ये कैसे हो सकता है
- फूल पत्थर में खिला देता है
- मुहब्बत का ही इक मोहरा नहीं था
- रास्ता किस जगह नहीं होता
- सबकी सुनना, अपनी करना
- साया बनकर साथ चलेंगे
- सिर्फ ख़यालों में न रहा कर
- हँसती गाती तबीयत रखिये
- हम ले के अपना माल जो मेले में आ गए
- हर कोई कह रहा है दीवाना मुझे
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Mahavir Uttranchali 2019/10/01 04:19 AM
आपकी ग़ज़लें हमें हमेशा से पसंद हैं। "प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है।" जगजीत सिंह द्वारा गायी गई है। लाजवाब।