पहली ग़ज़ल कही है
शायरी | ग़ज़ल सुशीला श्रीवास्तव1 Dec 2025 (अंक: 289, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
मुज़ारे मुसम्मन अख़रब मकफ़ूफ़ महज़ूफ़
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121 1221 212
पहली ग़ज़ल कही है, ज़रा देख लीजिए
जो गा रही हूँ, उसका असर देख लीजिए
मैं जानती नहीं हूँ, अभी बह्र, लय धुनें
ग़र रह गयी हो कोई क़सर, देख लीजिए
ता-उम्र सीखती रहूँ, अरमान है यही
मैं मूढ़ हूँ ज़रा सी, मगर देख लीजिए
इस फ़िक़्र के जहाँ में भी, बेफ़िक्र रह सकूँ
कहता है ये लगन का हुनर, देख लीजिए
मैं जानती हूँ दूर है मंजिल मेरी अभी
रहबर हैं आप मेरा, सफ़र देख लीजिए
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