प्यार कर के भुलाना सही तो नहीं
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत सुशीला श्रीवास्तव1 Sep 2025 (अंक: 283, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
प्यार कर के भुलाना सही तो नहीं
काम का ये बहाना सही तो नहीं
साथ चलने का वादा तुम्हीं ने किया
दूर जाकर न आये कभी तुम पिया
कब तलक मैं ज़माने के तानें सुनूँ
प्यार सबसे छुपाना सही तो नहीं।
रोज़ कहते हो जीवन में लाचार तुम
पास आकर करो आँखें दो चार तुम
भूल जाने की आदत तुम्हारी बहुत
इस क़दर भी सताना सही तो नहीं।
फूल दिल का कभी तुम खिलाते नहीं
आशियाँ प्यार का तुम बनाते नहीं
आज कह दो मुहब्बत नहीं है तुम्हें
हर घड़ी दिल दुखाना सही तो नहीं।
आरज़ू दिल की अब तो बताओ ज़रा
ज़िन्दगी में बहारें भी लाओ ज़रा
क्यों बुलाते नहीं, फोन करते नहीं
आँखें मुझ से चुराना सही तो नहीं।
आँख से आँसू बहते रहेंगे सदा
प्यार में दर्द सहते रहेंगे सदा
प्यार का आसरा मुझको ज़िन्दा रखे
इश्क़ ऐसे निभाना सही तो नहीं।
थक गये पाँव चलते अकेले पिया
रोज़ लगते हैं ग़म के मेले पिया
दिल में यादों की कलियाँ सिसकती रहीं
इस तरह दिल लगाना सही तो नहीं।
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