नहीं प्यार होगा कभी ये कम, मेरे साथ चल
शायरी | ग़ज़ल सुशीला श्रीवास्तव1 Apr 2025 (अंक: 274, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
बहर: कामिल मुसद्दस सालिम
अरकान: मुतुफ़ाइलुन मुतुफ़ाइलुन मुतुफ़ाइलुन
तक़्तीअ: 11212 11212 11212
नहीं प्यार होगा कभी ये कम, मेरे साथ चल
नहीं पालना कोई तू भरम, मेरे साथ चल
मेरी आरज़ू को पनाह दे, मुझे प्यार कर
मेरे हम सफ़र, मेरे हम क़दम, मेरे साथ चल
तेरी याद में तेरी चाह में रहूँ मैं मगन
मेरी राह तुझ से ही हो सुगम, मेरे साथ चल
खिली चाँदनी में पुकार ले मुझे हम सफ़र
मेरी चाह पर ज़रा कर करम, मेरे साथ चल
कहीं बुझ न जाये चराग़ प्यार का, हद न कर
न मिले नसीब में ग़म ही ग़म, मेरे साथ चल
मेरी चाहतों की दुआ सदा ही क़ुबूल हो
न मिला तो आँखें रहेगी नम, मेरे साथ चल
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