फिर आया मतदान
काव्य साहित्य | दोहे सुशीला श्रीवास्तव1 Jun 2024 (अंक: 254, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
काम करो यदि नेक तुम, जनता देगी वोट
क्यों सत्ता के लोभ में, बाँट रहे हो नोट
जागो नेता देश के, आया फिर मतदान
जनता वैभव चाहती, बन जाओ वरदान
जनहित का ही भाव हो, मानवता ही मूल
चुन जाने के बाद पर, मत जाना तुम भूल
इधर–उधर की बात में, उलझे हो दिन–रात
हार-जीत के खेल में बिछती रोज़ बिसात
काम करे निष्काम जो, मिले सदा सम्मान
दुनिया उनको पूजती, देती उन पर जान
नेता ऐसा चाहिए, जिसमें हो सद्भाव
डंका बाजे देश में, छोड़े ज़रा प्रभाव
नेता अगर उदार हो, जोड़े दिल का तार
होती है जयकार भी, जगमग हो संसार
विकसित अपना देश हो, भली मिले सरकार
जनता की मंशा यही, करना ज़रा विचार
नेता मिले महान तो, ख़ुशियाँ मिले अथाह
किन्तु विरोधों से भरी, राजनीति की राह
शोषण होता रोज़ ही, नारी रोये आज
बात न्याय की हो सदा, चाहे सकल समाज॥
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
अँधियारे उर में भरे, मन में हुए कलेश!!
दोहे | डॉ. सत्यवान सौरभमन को करें प्रकाशमय, भर दें ऐसा प्यार! हर…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
ग़ज़ल
- आज महफ़िल में मिलते न तुम तो
- जहाँ कहीं समर हुआ
- ज़रा रुख से अपने हटाओ नक़ाब
- टूटे दिलों की, बातें न करना
- तुम्हारी याद में हम रोज़ मरते हैं
- नहीं प्यार होगा कभी ये कम, मेरे साथ चल
- बच्चे गये विदेश कि गुलज़ार हो गए
- बेचैन रहता है यहाँ हर आदमी
- मुझको वफ़ा की राह में, ख़ुशियाँ मिलीं कहीं नहीं
- मुझे प्यार कोई न कर सका
कविता
दोहे
कहानी
कविता-मुक्तक
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं