टूटे दिलों की, बातें न करना
शायरी | ग़ज़ल सुशीला श्रीवास्तव1 Aug 2024 (अंक: 258, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
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टूटे दिलों की, बातें न करना
गुमसुम न रहना, आहें न भरना
कुछ तो जगाओ, अरमान दिल के
आँखों में यूँ ही, आँसू न भरना
सब को मुहब्बत, मिलती नहीं है
पाने की ख़ातिर, पल-पल न मरना
दुश्वारियाँ तो, आती रहेंगी
पर मुश्किलों से, बिल्कुल न डरना
गिरते हैं जो भी, उठते हैं वो भी
सो हारने पर, तुम ग़म न करना
कैसे कटेगा, ये सारा जीवन
बस बात करना, करना न धरना
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