ज़मीं आसमान की ताक़त
शायरी | ग़ज़ल दौलतराम प्रजापति1 Dec 2022 (अंक: 218, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
ज़मीं आसमान की ताक़त
मन की ऊँची उड़ान की ताक़त
चीर दीं छातियाँ ज़मीनों की
देखी तुमने किसान की ताक़त
एक दुश्मन भी दोस्त बन जाये
है ये शीरीं ज़ुबान की ताक़त
मालो दौलत को यार जाने दे
पास में रख ईमान की ताक़त
चाल हम जानते हैं दुनिया की
क्या करेगी मचान की ताक़त
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं