भूखे पेट भजन होता है
शायरी | ग़ज़ल रामश्याम ‘हसीन’1 Feb 2016
भूखे पेट भजन होता है
अपना अपना मन होता है
होता कुछ है कुछ दिखलाता
ऐसा भी दर्पण होता है
पैसे वाले में दिल मुश्किल
दिल वाला निर्धन होता है
सुलझे-सुलझे जीवन में भी
उलझा-उलझा मन होता है
हर पारीना घर में अब भी
सबका इक आँगन होता है
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