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थक गया हूँ ज़िन्दगी मैं भागते हुए 

बहरे रमल मुसद्दस सालिम 

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन 

2122      2122      2122 
 
थक गया हूँ ज़िन्दगी मैं भागते हुए 
हक़्क़ मेरा तू अदा कर  पालते हुए 
 
आँख से वो हादसा जाता नहीं है
क्या करूँ मैं तू बता अब जागते हुए 
 
मोल उसका कौन जाने मेरे सिवा 
ख़्याल आया ये शज़र को तोड़ते हुए
 
जो किसी को देखता है ही नहीं जाँ 
क्यों इबादत कर रहे हो काँपते हुए
 
फ़ैसला जो कर लिया है छोड़ने का 
देखते क्यों हो मुझे तुम घूमते हुए

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